जो भी दुख याद न था याद आया ...
जो भी दुख याद न था याद आया आज क्या जानिए क्या याद आया। याद आया था बिछड़ना तेरा फिर नहीं याद कि क्या याद आया। हाथ उठाए था कि दिल बैठ गया जाने क्या वक़्त-ए-दुआ याद आया। जिस तरह धुंध में लिपटे हुए फूल इक इक नक़्श तेरा याद आया। ये मोहब्बत भी है क्या रोग 'फ़राज़' जिसको भूले वो सदा याद आया। Lyricist: Ahmed Faraz Singer: Ghulam Ali Click here to Listen this Ghazal: (Youtube Link)