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Showing posts from April, 2016

जो भी दुख याद न था याद आया ...

जो भी दुख याद न था याद आया आज क्या जानिए क्या याद आया। याद आया था बिछड़ना तेरा फिर नहीं याद कि क्या याद आया। हाथ उठाए था कि दिल बैठ गया जाने क्या वक़्त-ए-दुआ याद आया। जिस तरह धुंध में लिपटे हुए फूल इक इक नक़्श तेरा याद आया। ये मोहब्बत भी है क्या रोग 'फ़राज़' जिसको भूले वो सदा याद आया। Lyricist: Ahmed Faraz Singer: Ghulam Ali Click here to Listen this Ghazal: (Youtube Link)  

दिल में और तो क्या रखा है...

दिल में और तो क्या रखा है तेरा दर्द छुपा रखा है। इतने दुखों की तेज़ हवा में दिल का दीप जला रखा है। इस नगरी के कुछ लोगों ने दुख का नाम दवा रखा है। वादा-ए-यार की बात न छेड़ो ये धोखा भी खा रखा है। भूल भी जाओ बीती बातें इन बातों में क्या रखा है। चुप चुप क्यों रहते हो 'नासिर' ये क्या रोग लगा रखा है। Lyricist: Nasir Kazmi Singer: Ghulam Ali Click here to listen this Ghazal (YouTube Link)