दिल में और तो क्या रखा है...
दिल में और तो क्या रखा है
तेरा दर्द छुपा रखा है।
इतने दुखों की तेज़ हवा में
दिल का दीप जला रखा है।
इस नगरी के कुछ लोगों ने
दुख का नाम दवा रखा है।
वादा-ए-यार की बात न छेड़ो
ये धोखा भी खा रखा है।
भूल भी जाओ बीती बातें
इन बातों में क्या रखा है।
चुप चुप क्यों रहते हो 'नासिर'
ये क्या रोग लगा रखा है।
Lyricist: Nasir Kazmi
Singer: Ghulam Ali
Click here to listen this Ghazal (YouTube Link)
तेरा दर्द छुपा रखा है।
इतने दुखों की तेज़ हवा में
दिल का दीप जला रखा है।
इस नगरी के कुछ लोगों ने
दुख का नाम दवा रखा है।
वादा-ए-यार की बात न छेड़ो
ये धोखा भी खा रखा है।
भूल भी जाओ बीती बातें
इन बातों में क्या रखा है।
चुप चुप क्यों रहते हो 'नासिर'
ये क्या रोग लगा रखा है।
Lyricist: Nasir Kazmi
Singer: Ghulam Ali
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