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Showing posts from November, 2019

आ कि वाबस्ता हैं ...

आ कि वाबस्ता हैं, उस  हुस्न की यादें तुझ से जिस ने इस दिल को परी-ख़ाना बना रक्खा था जिस की उल्फ़त में भुला रक्खी थी दुनिया हम ने दहर को दहर का अफ़्साना बना रक्खा था आश्ना हैं तिरे क़दमों से वो राहें जिन पर उस की मदहोश जवानी ने इनायत की है कारवाँ गुज़रे हैं जिन से उसी रानाई के जिस की इन आँखों ने बे-सूद इबादत की है  आश्ना हैं तिरे क़दमों से वो राहें जिन पर उस की मदहोश जवानी ने इनायत की है कारवाँ गुज़रे हैं जिन से उसी रानाई के जिस की इन आँखों ने बे-सूद इबादत की है तुझ से खेली हैं वो महबूब हवाएँ जिन में उस के मल्बूस की अफ़्सुर्दा महक बाक़ी है तुझ पे बरसा है उसी बाम से महताब का नूर जिस में बीती हुई रातों की कसक बाक़ी है   तू ने देखी है वो पेशानी वो रुख़्सार वो होंट ज़िंदगी जिन के तसव्वुर में लुटा दी हम ने तुझ पे उट्ठी हैं वो खोई हुई साहिर आँखें तुझ को मालूम है क्यूँ उम्र गँवा दी हम ने हम पे मुश्तरका हैं एहसान ग़म-ए-उल्फ़त के इतने एहसान कि गिनवाऊँ तो गिनवा न सकूँ हम ने इस इश्क़ में क्या खोया है क्या सीखा है जुज़ तिरे और को समझाऊँ तो समझा न सकूँ   आजिज़ी सीखी ग़रीबों की हिम...

Best of Jaun Elia

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता;  एक ही शख़्स था जहान में क्या ? बहुत नज़दीक आती जा रही हो; बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या ? सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर; अब किसे रात भर जगाती है ? बिन तुम्हारे कभी नहीं आई;  क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है ? ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से; बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ । रोया हूँ तो अपने दोस्तों में; पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ । अब तो हर बात याद रहती है; ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया हूँ । आख़िरी बात तुम से कहना है; याद रखना न तुम कहा मेरा, सब मेरे बग़ैर मुतमइन हैं; मैं सब के बग़ैर जी रहा हूँ । क्या है जो बदल गई है दुनिया; मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ । जहान- world. जुस्तजू - desire. बे - जार - hurt. मुतमइन - satisfied.