Best of Jaun Elia

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता; 
एक ही शख़्स था जहान में क्या ?
बहुत नज़दीक आती जा रही हो;
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या ?

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर;
अब किसे रात भर जगाती है ?
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई; 
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है ?

ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से;
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ ।
रोया हूँ तो अपने दोस्तों में;
पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ ।

अब तो हर बात याद रहती है;
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया हूँ ।
आख़िरी बात तुम से कहना है;
याद रखना न तुम कहा मेरा,
सब मेरे बग़ैर मुतमइन हैं;
मैं सब के बग़ैर जी रहा हूँ ।
क्या है जो बदल गई है दुनिया;
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ ।


जहान- world.
जुस्तजू - desire.
बे - जार - hurt.
मुतमइन - satisfied.

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