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Showing posts from May, 2020

महीनों बाद दफ़्तर आ रहे हैं,

महीनों बाद दफ़्तर आ रहे हैं, हम इक सदमें से बाहर आ रहे हैं...  तेरी बाहों से दिल उकता गया है, अब इस झूलें में चक्कर आ रहे है...  -तहज़ीब हाफी

बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो...

उजले उजले फूल खिले थे बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो,  मुझ को शाम बता देती है तुम कैसे कपड़े पहने हो... - बशीर बद्र

सब कुछ भुला दिया....

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें, हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया....

सबकी नजर में आता...

वो जहर देता तो सबकी नजर में आता फिर यूं किया उसने वक्त पर दवा न दी....

बतलाऊँ क्या...

मुझमें कितने राज है बतलाऊँ क्या, बंद इक मुद्दत से हूँ, खुल जाऊँ क्या ??  -राहत इंदौरी