महीनों बाद दफ़्तर आ रहे हैं,

महीनों बाद दफ़्तर आ रहे हैं,
हम इक सदमें से बाहर आ रहे हैं... 
तेरी बाहों से दिल उकता गया है,
अब इस झूलें में चक्कर आ रहे है... 

-तहज़ीब हाफी

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