रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ..

रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए
फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए

कुछ तो मेरे पिन्दार--मोहब्बत[1]का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए

पहले से मरासिम[2] सही, फिर भी कभी तो
रस्मों-रहे[3] दुनिया ही निभाने के लिए

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए

इक उम्र से हूँ लज़्ज़त--गिरिया[4] से भी महरूम[5]
राहत--जाँ [6]मुझको रुलाने के लिए

अब तक दिल--ख़ुशफ़हम[7] को तुझ से हैं उम्मीदें
ये आखिरी शमएँ भी बुझाने के लिए

शब्दार्थ  :
  1.  प्रेम का गर्व
  2. प्रेम-व्यहवार
  3. सांसारिक शिष्टाचार
  4. रोने का स्वाद
  5.  वंचित
  6.  प्राणाधार
  7. किसी की ओर से अच्छा विचार रखने वाला मन


Creation : Ahmad Faraaj


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