तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे..

तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे,
प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे..

तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे..

जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाए रखा
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा
दीन जिनको, जिन्हे ईमान बनाए रखा
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे....

जिनका हर लफ़्ज़ मुझे याद था पानी की तरह
याद थे जो मुझको जो पैगामे ज़बानी की तरह
मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे...

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
सालहा साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे....

प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे........

तेरे खत मैं आज गंगा में बहा आया हूं,
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं.....








Lyrics: राजेंद्र नाथ रहबर
Singer: जगजीत सिंह
 Movie: अर्थ (1982)



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