Kabhi Kabhi Mere Dil Mein – Amitabh Bachchan

Movie : Kabhi Kabhi (1975)
Lyrics : Sahir Ludhyanvi
This is the poem which has been moulded in the song. Listen it in the mountainous voice of the Shenshah of Bollywood, Amitabh Bhachhan.
It has certain pain. People who have suffered in pain can live without anyone, even without its
lover, because the grief is enough to allow him to live.
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी।
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओं मैं खो भी सकती थी।
मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं।
गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,
इससे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं.
न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी.
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता है.
***
शादाब /Shadab=fresh,delightful
रंज/Ranj=distress,grief
जुस्तजू /Justjoo=desire
हम-नफस/Hum-nafas=companion,friend.

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