Movie/Album: उमराव जान (1981) Music By: खैय्याम Lyrics By: शहरयार Performed By: आशा भोंसले जुस्तजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने... तुझको रुसवा न किया, खुद भी पशेमाँ न हुये इश्क़ की रस्म क...
ग़लतियों से जुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं, दोनो इंसान हैं खुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं, तू मुझे और मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर, अपने अंदर झाँकता तू भी नहीं मैं भी नहीं, ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी नही.... चाहते दोनों बहुत एक दूसरे को हैं मगर, ये हक़ीक़त है कि मानता तू भी नहीं मैं भी नहीं.....
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ कोई बेवफा नही होता, जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौसला नही होता। अपना दिल भी टटोल कर देखो, फासला बेवजह नही होता। एक इमारत लब-ए-जमुना, वही अंदाज़-ओ-अदा, मुगलिया दौर की गम्माज़ नज़र आती है, जब भी महताब की हलकी सी किरन पड़ती है, ताज़ की शक्ल में मुमताज़ नज़र आती है। रात तेरी नही, रात मेरी नही, जिसने आँखों में काटी वही पायेगा। कोई कुछ भी कहे और मैं चुप रहूँ, ये सलीका मुझे जाने कब आयेगा। क्या यूँ ही कल भी मेरे घर में अंधेरा होगा, रात के बाद सुना है कि सवेरा होगा आज जो लमहा मिला, प्यार की बातें कर ले, वक्त बेरहम है कल तेरा न मेरा होगा। चाँद जैसा बदन, फूल सा पैरहम, जाने कितने दिलो पे गज़ब ढायेगा, आजकल तू कयामत से कुछ कम नही, जो भी देखेगा दीवाना हो जायेगा लेकिन जान-एमन, तू किसी और की, जागीर है ऐ जान-ए-गज़ल लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल जो मेरे शहर में कुछ रोशनी लाये होंगे, उन चरागों ने कई घर भी जलाये होंगे हाथ उनके भी यकीनन हुए होंगे ज़ख्मी, जिसने राहों में मेरी काँटे बिछाये होंगे एक आशिक ने रात पिछली पहर, अपने महबूब के ना आने पर, कर दिये ताज महल के ...
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