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Showing posts from April, 2020

तुम्हे अच्छा लगेगा।

बिछड़कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा; वो थक जाएगा और मेरे गले से आ लगेगा। मैं मुश्किल में तुम्हारे काम आऊँ या ना आऊँ मुझे आवाज़ दे लेना तुम्हे अच्छा लगेगा।  ~ तहज़ीब हाफ़ी

उसकी आंखो के बारे में क्या जानते हो?

तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है ? मुहब्बत-मुहब्बत बड़ा जानते हो ? तो फिर ये बताओ कि तुम उसकी आँखों के बारे में क्या जानते हो ?  ये जुगराफ़िया, फ़लसफ़ा, साइकोलॉजी, साइंस, रियाज़ी वगैरा ये सब जानना भी अहम है, मगर उसके घर का पता जानते हो ?   ~ तहज़ीब हाफ़ी

घर खाली था...

तू भी कब मुझे मेरे मुताबिक दुख दे पाया, किसने भरना था ये पैमाना अगर खाली था... एक दुख ये कि तू मिलने नहीं आया मुझसे, एक दुख ये है कि उस दिन मेरा घर खाली था...  ~ तहज़ीब हाफ़ी

क्या करना है...

आज उसके चाहने वालों का उसकी गली में धरना है, यहीं पर रुक जाओ आगे क्या मरना है? रूह किसी को सौंप आए हो तो ये जिस्म भी ले जाओ, वैसे भी मैंने इस खाली बोतल का क्या करना है?  ~ तहज़ीब हाफ़ी