हुई मुद्दत कि ख्वाब में भी आया नहीं कोई, हैरत में हूं ये किसका मुझे इंतजार है... है यकीं कि ये वादा-वफ़ा बातें हैं महज; है गुमां, दिल तौहीन - ए - वफा से नागवार है। ढूंढे कहां ये चश्म उस जहां में पाक - ए - इश्क़; है वस्ल जहां हिरफत, जिस्म - ओ - जां बाजार है। दस्तखत दर्ज है जिगर पे, सिलवटों में शामिल तिरा खुमार है... इक वो लफ्ज - ए - रुख़सती जो हमें रोने नहीं देती; सब कहते है बंदा खुशगवार है। - अभिषेक झा अनुवाद: मुद्दत : अरसा वादा-वफ़ा: मुहब्बत के वादे गुमां : अभिमान तौहीन - ए - वफा : insult of love नागवार : अप्रिय चश्म : आंखें पाक - ए - इश्क़ : पवित्र मुहब्बत (sacrosanct / special love) वस्ल : मिलन हिरफत : सौदा जिस्म - ओ - जां : शरीर और जान जिगर : दिल सिलवटों : crease / wrinkle of bed खुमार : नशा लफ्ज - ए - रुख़सती : जाते वक़्त बोला जाने वाला शब्द